शीर्षक को देख के आप लोग शायद आश्चर्य करें की नेतृत्व क्षमता में साथ चलना कहाँ से आ गया, लेकिन यही भ्रान्ति को आज हम दूर करने की कोशिश करेंगे और लेख के माध्यम से यह बताएँगे की असली नेतृत्वकर्ता वह नहीं है जिसके पीछे पीछे भीड़ चले बल्कि वह है जो लोगों को साथ लेके चले क्यूंकि पहले व्यक्ति के साथ जो भीड़ होती है वह सिर्फ उस समय तक ही उसका साथ देती है जब तक की उसका अच्छा समय चल रहा हो, जबकि दूसरे व्यक्ति के साथ जो लोग चल रहे होते हैं वह ज़िन्दगी भर उसका साथ देते हैं.
जैसे उदहारण के तौर पर अगर आपके परिवार पर कोई भयंकर विपदा आ जाये तो आपको यह देख कर हैरानी होगी की पहले दिन आपके साथ १०० लोग खड़े हैं, दुसरे दिन ५० बचेंगे, तीसरे दिन सिर्फ २५ और चौथा दिन आते आते आप अकेले खड़े दिखाई देंगे. यह वह लोग होते हैं जो सिर्फ यह देखने के लिए साथ खड़े होते हैं की आपकी तकलीफ़ कितनी बड़ी है.
ख़ैर दुबारा मुद्दे पर आते हैं, नेतृत्व क्षमता पैदायशी नहीं आती इसको अपने अन्दर विकसित करना पड़ता है, लोग सिर्फ आपका चेहरा देख कर आप पर मंत्रमुग्ध नहीं होंगे, ना ही वह आपके रुतबे, पैसा इत्यादि देख कर आपके पास आयेंगे (वैसे आज कल लोग इन सबको वजह से से ही आपके साथ होते हैं), असलियत में सिर्फ वही लोग आपके साथ चलने को तैयार होंगे जिन्हें आपकी वाणी, आपके आचरण, आपकी सौम्यता, आपका दूसरों के प्रति समर्पण, बड़ों का आदर करना आदि पसंद आएगा.जैक वेल्श ने सच ही कहा है “नेता बनने से पहले, सफलता का मतलब स्वयं का विकास है और जब आप नेता बन जाते हैं, सफलता का मतलब दूसरों को आगे बढ़ाना हैं”.
यह भी हकीक़त का एक आयना है की महान नेतृत्वकर्ता वही बना है जिसने अपने से पहले दूसरों की सुध ली है, विश्व मैं अनेकों ऐसे उदहारण है जिनमे प्रमुख अपने महान देश के लोग (महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, लाला लाजपत राय) अपने उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता के कारण सबसे ऊपर आते हैं. किन्ही महान रचनाकार ने कहा है “कि हम अकेले बहुत थोडा काम कर सकते हैं और साथ में हम बहुत कुछ कर सकते हैं”. पुरानी कहावत कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” आज भी चरितार्थ हो जाती है.
बात यहीं तक सीमित नहीं है, नेतृत्व क्षमता के साथ एक नेतृत्वकर्ता में
सहनशीलता, जोश, होश, निडरता, वार्तालाप की कला तथा लोगों को मोह लेने वाली अदा की
भी आवश्यकता होती हैं, जो व्यक्ति इन सब बहुमूल्य आवरणों को ओढ़ कर जीवन पथ पर चलता
है, सफलता उसके कदम चूमती हैं और उसका तेज़ उगते सूर्य की तरह सारे जग में चमचमाता
है और वो अपनी विजय पताका लहराता हुआ कदम दर कदम अपनी मंजिल की ओर अग्रसर रहता
है.
---- आकाश जैन
Categories:
इतना बेहतर लेख लिखने के लिए धन्यवाद जो भी बाते लिखी है आपने बिल्कुल सही है हमे भीड़ का हिस्सा ना बनकर जो हम सब के साथ चल सके उसका साथ देना चाहिए और ऐसे लोगो से कुछ सीखना चाहिए और हमे अपने देश के महान लोगो से और उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए और एक बेहतर कल का सभी के लिए निर्माण करना चाहिए और खुद एक बेहतर इंसान बनना चाहिए|
V.good sir
Please publish more motivational article on regular basis . Thanks
Nice thought...
very good sir
THANKS A LOT FOR YOUR MOTIVATIONAL THOUGHT