कोई भी इन्सान अपने जीवन में बिना लक्ष्य के एक कदम भी आगे
नहीं बढ़सकता है, हर एक इन्सान के जीवन में उसका कोई न कोई लक्ष्य ज़रूर होता है
जिसके लिए इन्सान जीता और कार्य करता है, फर्क बस इतना है कि कुछ लोगों के लक्ष्य
निर्धारित हो कर पूरे हो जातें हैं और कुछ उनसे पीछे रह जाते है.
इसका क्या कारण हो सकता है,बहुत से लोग कहते हैं की वह
इसलिए सफलता का स्वाद चख पाया क्यूंकि वह हमसे अलग है, उसमे
ये खूबियां है वो खूबियाँ है, लेकिन मैं इन सब चीज़ों को नहीं मानता, उन लोगों में
जो लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं और जो नहीं कर पाते हैं उनके सिर्फ एक ही चीज़ का
फर्क होता है और वो है सोच, एक कहावत है कि “इन्सान
जो सोच सकता है, दिलजिस पर विश्वास कर सकता है, इन्सान वह चीज़ कर सकता है”
जिस इन्सान के पास कोई लक्ष्य नहीं है वह उस खिलाडी के समान
है जो फुटबाल को लेकर मैदान में दौड़ता रहता है, परन्तु उसे पता नहीं होता कि उसे
गोल कहाँ करना है.“हर चीज़ का सृजन दो बार होता है, पहले बार दिमाग में दूसरी
बार वास्तविकता में”. इंसान जब तक अपने मस्तिष्क में अपने लक्ष्य को एक बार
नहीं पा लेता उसका उस लक्ष्य को वास्तविकता में पा पाना असंभव होता है.
लक्ष्य निर्धारण के लिए जो सबसे बहुमूल्य बातें हैं वह हैं
उनका
·
स्पष्ट होना,
·
मापा जा सकना
·
पूर्ण करने योग्य होना,
·
वास्तविकहोना,
·
समयसीमा में बंधा होना
अगर आपकालक्ष्यइन सब मानदंडों को पूरा करता हैं तो यह
निश्चित है कि आप उसलक्ष्य कि पूर्ती अवश्य कर लेंगे क्यूंकि लक्ष्य कुछ और नहींएक
समय सीमा के साथ देखा हुआ एक सपना है.
आपके साथ लक्ष्य प्राप्ति के कुछ महत्वपूर्णबिंदुबांटना
चाहता हूँ, जिनमे प्रमुख हैं
१.
अपने लक्ष्य को लिखित में अपने पास ऐसी जगह रखे
जहाँ आपकी नज़र उस पर दिन में बहुत बार पड़ती हो, ऐसा इसलिए क्यूंकि कुछ समय तक आप उस
लक्ष्य को देखेंगे परन्तु कुछ समय बाद वह आपको देखने लगेगा कि मैं अभी पूरा नहीं
हुआ हूँ
२.
एक बड़े लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में बाँट
लें, इससे उन्हें प्राप्त करना आसान हो जायेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा
३.
एक बार जब लक्ष्यों का निर्धारण हो जाये तो उस
रास्ते पर चलते हुए समय समय पर अपने लक्ष्यों को देखते रहे कि आप सही राह पर हैं
या नहीं
जब आप एक छोटे लक्ष्य को प्राप्त कर लें तो उसकी ख़ुशी मनाना
न भूलें, साथ साथ यह भी विचार करें कि उस लक्ष्य को आपने जल्दी प्रपात कर लिया तो
अगला लक्ष्य थोडा कठिन रखें.
अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि लक्ष्य का निर्धारण कर
लेना आधी जंग जितने जैसाहै और न कर पाना हारना, बाकि आधी जीत के लिए आपको यह सोचना
होगा कि कौन सा रास्ता अपनाया जाये ताकि सुगम तरीके से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ा जा
सके.
--- आकाश जैन
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very nice ! Thanks.
its very true sir........
No one talks about failure ,failure is good perhaps the best thing.Remember what, A.P J Abdul Kalam said" Don't read success stories , you will get only a message .Read failure stories, you will get some idea to get succsess
V.good sir thanks
Respected Sir,
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