कर्तव्यनिष्ठा एक कर्मचारी केलिए बिलकुल उसकी छाया की तरह होती है, जैसे एक इन्सान अपनी छाया को नहीं त्याग सकता वैसे ही एक कर्मचारीके लिए कर्तव्य का पालन करना बहुत ही ज़रूरी होता है क्यूंकि जब तक एक कर्मचारी अपने कार्य एवं कार्यक्षेत्र के लिए पूर्ण समर्पण का भावनहीं रखेगा तब तक न तो वह अपने लिए कुछ सही कर पायेगा ओर न ही अपनेकार्यक्षेत्र के लिए सही होगा ।

एककर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी बिलकुल उन बाल अर्जुन की तरह होता है जिसका ध्यान केवल चिड़िया की आँख (लक्ष्य) कीओरलगा रहता है, वह फिर उसके अलावाकिसी भी तरीके की बातों पर ध्यान नहीं देता उसे केवल अपना लक्ष्य (कार्य) हीदिखाई और समझ में आता है तथाउस लक्ष्य (कार्य) का भेदन करने में (पूरा करने में) उसे किसी भी तरह की कठिनाइयों का एहसास नहीं होता।

एक कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारीअपनी कंपनी के लिए वही जगह रखताहै जो की उस कंपनी के मालिकान की होती है, क्यूंकिकंपनीकर्मचारियोंसे ही चलती है और फिर ये तो मानी हुई बात है की कंपनियों को भी हमेशा से ऐसे कर्मचारियों की ज़रूरत रहती है जो कंपनी के लिए वफादार हों, जिन परकंपनी विश्वास कर सके, ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है क्यूंकि अगर एक कंपनी में काम करने से एक कर्मचारी की पहचान होती है तो कहीं न कहीं एक कंपनी भी उसमे काम करने वाले कर्मचारियों से जानी जाती है।

एक कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी उन दस कर्मचारियों से कहीं अच्छा है जो सिर्फ समयानुसार काम करने आते हैं ओर समय व्यतीत होने पर अपने घर चले जाते हैं, अच्छा कर्मचारी वही है जो कंपनी के काम को अपना काम समझते हुए करते हैं औरअपना संपूर्ण योगदान देते हैं।

कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी को किसी को भी कुछ बताने की या समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ती, वह कर्मचारी स्वयं ही काम ढूँढता है और उसे बखूबी अंजाम देता है, कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी किसी समयावधि का मोहताज़ नहीं होताउसकी हमेशा से यही कोशिश रहती है की कैसे भी करके किसी कार्य को सफलतापूर्वक किया जाये ताकि कंपनी को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो, और यह इसलिए की अगर कंपनी आगे बढ़ेगी तो उसके साथ साथ कर्मचारी भी तो बढ़ेंगे ।

कर्तव्यनिष्ठाआज के समय में एक इंसान के लिए केवलकार्यक्षेत्रमें ही नहीं बल्कि निजी ज़िन्दगी में भी ज़रूरी है क्यूंकि कुछ सिद्धान्त ऐसे होते हैं जिनकी सार्थकता कभी भी निरर्थक नहीं होती बल्कि समय बीतने के साथ निरंतर बढती रहती है. ये कुछ ऐसे सिद्धान्त हैं जिन्हें मानने से हमेशा एक इन्सान सफलता की सीढियां ही चढ़ता है, उसका सूर्य हमेशा उदय रहता है तथा वह हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है ।

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